pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

सोच का अनुभव

4
5

कभी कभी मैं सोचती हूँ कभी कभी लोग हमें समझना नहीं चाहते कभी हम लोगों को नहीं समझना चाहते। और यदि हम समझ भी जाते हैं लोगों को तो एक उम्मीद तो होती है कि वो भी समझे फिर भी यदि लोग हमें समझना नहीं चाहते ...