आज फिर पुलिस चौकी के कई चक्कर लगा चुके थे राणा जी। किंतु निराशा ही हाथ लगी थी। दारोगा जी हर बार उन्हें डाँटकर भगा देते। वे अनुनय-विनय करते, रोते हुए दया की भीख माँगते। लेकिन इसका कोई असर नहीं ...
आज फिर पुलिस चौकी के कई चक्कर लगा चुके थे राणा जी। किंतु निराशा ही हाथ लगी थी। दारोगा जी हर बार उन्हें डाँटकर भगा देते। वे अनुनय-विनय करते, रोते हुए दया की भीख माँगते। लेकिन इसका कोई असर नहीं ...