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सिलसिला

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4.5

"कितनी साँसों को सुनकर मूक हुए हो? कितनी साँसों को गिनना चूक गये हो? कितनी सांसें दुविधा के तम में रोयीं? कितनी सांसें जमुहाई लेकर खोयीं? कितनी सांसें सपनों में आबाद हुई हैं कितनी सांसें सोने में ...