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शून्य शून्य तुम साकार हो, प्रारब्ध से परे अनतःसाक्ष्य , एक लयबद्ध सार हो ! लघुता मै सम्पूर्ण अर्थ , वृहद आकर में व्योम दृश, अखण्ड परिभाषित आकार हो ! काल चक्र ,सृजन का यंत्र, अनरवत गति का आधार हो ! ...