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शुक्रगुजार हूँ तुम्हारा

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खुशबू बन संग रही कुछ देर मुट्ठीभर खुशियाँ शुक्रगुजार हूँ तुम्हारा । मुझे अन्धे को भी दिखाई आसभरी दुनिया शुक्रगुजार हूँ तुम्हारा ।। जिस पाठ को पढ़ ना पाया उम्र पकने को आयी मेरी फिर भी कभी पल में तूने ...

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लेखक के बारे में

खुश हूं अपनी मुट्ठीभर खुशियों के साथ । फूल नहीं बनेगी कभी उन कलियों के साथ।। सदाशिव सखा हैं मेरा संग रहता हर पल तो बीत रहा जीवन 'राज़' खुशनुमा घड़ियों के साथ ।।

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