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श्री हरि स्तुति

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जय नाथ रमापति विष्णु प्रभो, जलधाम कृपा जगदीश विभो जय माधव मोहक कृष्ण हरे, करुणाकर राघव कष्टहरें । जय शाश्वत दक्ष अमोघ हरी, भव कष्ट भयादुख रोग अरी महि मंडल भूषण व्योम पते, शिव संत सदा तुमको जपते ...