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श्मशान में खड़ा वो मौन व्यक्ति क्या सोचता होगा

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यह कविता एक ऐसी भावना को समर्पित है जिसे शब्दों में बाँधना आसान नहीं — मौन, शोक और अधूरी मोहब्बत।

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लेखक के बारे में
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Devendra Dixit

वर्षो के बाद लिखने का मोह मुझे इस डगर पर दोबारा ले आया है, अबकी बार बेवफाई ना करने की प्रतिज्ञा ली है, अब कलम को जीवनसाथी बनाने की ठानी है, कोशिश यह है की शायद इसके जरिये मै अपने बीच मे ही छोड़ देने के चरित्र मे कुछ बदलाव ला पाउँगा प्रणाम, देवेंद्र दीक्षित

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