वर्षो के बाद लिखने का मोह मुझे इस डगर पर दोबारा ले आया है, अबकी बार बेवफाई ना करने की प्रतिज्ञा ली है, अब कलम को जीवनसाथी बनाने की ठानी है, कोशिश यह है की शायद इसके जरिये मै अपने बीच मे ही छोड़ देने के चरित्र मे कुछ बदलाव ला पाउँगा
प्रणाम,
देवेंद्र दीक्षित