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जटा में विराजे गंग,ग्रीवा लिपटे भुजंग। भस्म रमाए अंग ,भोले भंडारी हैं।। कण्ठ गरल नील रंग,शैल कुमारी संग। वास कैलाश तुंग, नंदी की सवारी है।। खुला त्रिनेत्र ध्यान भंग, क्षार क्षण में अनंग। राग-रंग, मोह ...