भोलेनाथ दया करें,शिव शंकर दया करें,पापी मैं अज्ञानी तुम्हारी शरण में आया हूं,शिव शंभू तुम्हारी शरण में आया हूं,तुम्हारी शरण में आया हूं,दीन धर्म का ना मुझको ज्ञान, किए हैं पापी मैंने तमाम,शंभू ...
अपने आप को तलाशता,अपने आप से हर रोज एक ही सवाल पूछता कौन हूं मैं कौन मैं? एक भटका हुआ योगी,एक पर्वतारोही,एक पुत्र,एक पति,भाई,एक कवि,एक देशभक्त या एक कानून के आगे इंसाफ की आस लगाए हुआ एक फरियादी कौन हूं मैं कौन हूं मैं?
अपने आप को पहचानने की तलाश जारी...
(सारी जिंदगी लगा दी मैंने दीमार्को से अपना घर बचाने के लिए पर कुछ कुर्सी के कीड़े पूरा देश खा गए।)
सारांश
अपने आप को तलाशता,अपने आप से हर रोज एक ही सवाल पूछता कौन हूं मैं कौन मैं? एक भटका हुआ योगी,एक पर्वतारोही,एक पुत्र,एक पति,भाई,एक कवि,एक देशभक्त या एक कानून के आगे इंसाफ की आस लगाए हुआ एक फरियादी कौन हूं मैं कौन हूं मैं?
अपने आप को पहचानने की तलाश जारी...
(सारी जिंदगी लगा दी मैंने दीमार्को से अपना घर बचाने के लिए पर कुछ कुर्सी के कीड़े पूरा देश खा गए।)
समीक्षा
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रेटिंग
रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
आपकी रचना शेयर करें
बधाई हो! शिव शंकर भोलेनाथ!( भजन) प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।