1- अकेले कौमें नहीं चला करतीं, मुहब्बत हर कौम की दरकार होती है । 2. रिश्तों की गर्माहट अब तपाने लगी है, काश दो बूंद ओस की मयस्सर होती । 3- पल बुरे नहीं होते दोस्त, गर पलों को जीने का लुफ्त ...
1- अकेले कौमें नहीं चला करतीं, मुहब्बत हर कौम की दरकार होती है । 2. रिश्तों की गर्माहट अब तपाने लगी है, काश दो बूंद ओस की मयस्सर होती । 3- पल बुरे नहीं होते दोस्त, गर पलों को जीने का लुफ्त ...