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शायरी - रंग -ए- जिंदगी

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मानो किसी पतंग की तरह थी मेरी  जिंदगी.. हम घटा के संग घुलते चले गए, मस्त हवा में उड़ते चले गए.. ये सोचकर के तुमने डोर थाम रखी है... पर किस्मत ने, ऐसा ला पटका जमीन पर हमको, के अब, ना फिर उड़ने का जी ...