pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

शायरी

5
15

क्यों ना हो उम्मीद , हर शाम आपकी यादे लेकर आती है, दो कप चाय तो है पर एक जगह खाली नजर आती है ।। © ईकराम 'साहिल' ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
ईकराम पटेल

जीवन के एक असंतुलित पड़ाव पर आते ही दुनिया आपको भूल जाती है, रिश्ते नाम के रह जाते हैं और जिंदगी एक औपचारिकता मात्र रह जाती है। जैसे-जैसे वक्त बढ़ रहा है, लोगों से चिढ़ होने लगी है। जिम्मेदारियों का एहसास हो रहा है। अपने लोग अब अपने नहीं रहे। स्वार्थ ही सत्य है।

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विभा यादव
    13 जून 2020
    और उस खाली जगह में तुम्हारी यादों का सिलसिला चलता है अच्छा लिखा है आपने
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    13 जून 2020
    दो कप चाय और कमी .......
  • author
    Sadaf
    13 जून 2020
    बहुत खूब बहुत खूब 👏👏👏
  • author
    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    विभा यादव
    13 जून 2020
    और उस खाली जगह में तुम्हारी यादों का सिलसिला चलता है अच्छा लिखा है आपने
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    13 जून 2020
    दो कप चाय और कमी .......
  • author
    Sadaf
    13 जून 2020
    बहुत खूब बहुत खूब 👏👏👏