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शायरी

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क्यों ना हो उम्मीद , हर शाम आपकी यादे लेकर आती है, दो कप चाय तो है पर एक जगह खाली नजर आती है ।। © ईकराम 'साहिल' ...

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लेखक के बारे में
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ईकराम पटेल

जीवन के एक असंतुलित पड़ाव पर आते ही दुनिया आपको भूल जाती है, रिश्ते नाम के रह जाते हैं और जिंदगी एक औपचारिकता मात्र रह जाती है। जैसे-जैसे वक्त बढ़ रहा है, लोगों से चिढ़ होने लगी है। जिम्मेदारियों का एहसास हो रहा है। अपने लोग अब अपने नहीं रहे। स्वार्थ ही सत्य है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Poonam Kaparwan pikku
    13 जून 2020
    दो कप चाय और कमी .......
  • author
    Sadaf
    13 जून 2020
    बहुत खूब बहुत खूब 👏👏👏
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    Poonam Kaparwan pikku
    13 जून 2020
    दो कप चाय और कमी .......
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    Sadaf
    13 जून 2020
    बहुत खूब बहुत खूब 👏👏👏