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शायरी.....

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कोई इंतिहा नहीं खुद के सिवा क्योंकी दिल पिघल जाता है खुद की आदत से ! ...

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लेखक के बारे में

हृदयस्थ नारायण 🙏 वेल 🌿 अमृतमय शब्दांची , शब्दातल्या अमृत भावनांची , भावनांच्या अबोल अमृतजाणिवेची.

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