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शातिर चोर

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शीर्षक - शातिर चोर वो जमाना ओर था ये जमाना ओर है मगर तू पहले भी चोर था तू आज भी चोर है पहले माखन चुराता था फिर दिल चुराने लगा एक जमाना बीत गया फितरत तेरी आज भी ना बदली आज भी जहां देखो बस तेरा ही ...

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लेखक के बारे में

ख्वाबों में बसा ख्यालात हूं दर्द में चैनों सुकून की रात हूं जरा इत्मिनान से पढ़ना मुझे मैं एक अनकहा जज़्बात हूं गले मिलो तो मुलाकात हूं साथ ले लो तो खुशीयों की बारात हूं मीलों सफर कर दिल से निकला मैं एक अनकहा जज़्बात हूं तुम कह ना सके वो बात हूं तुम जता ना सके वो हालात हूं ठुकरा ना देना लबों पर लाकर मैं एक अनकहा जज़्बात हूं।। दिल की कलम से दिल ❤️ के जज़्बात लिखने की एक कोशिश श्याम दीवाने हैं प्रेम से राधे राधे बोल दो ना एक बार 🌹राध राधे 🌹 जयपुर, राजस्थान M.no.9785867338

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    14 एप्रिल 2021
    बात तो सही कही आपने जब भी मै बासुंरी की धुन मोबाइल मे सुनती हूँ तो ऐसा लगता जैसे कान्हा बजा रहे है ।चित्त को चुरा लेते है ऐसा मेडीटेशन करा देते है । बहुत सुन्दर लिखा भाई जी ..।राधे राधे 🙏🙏🙏🙏
  • author
    Sanjay Ni_ra_la
    14 एप्रिल 2021
    बहुत सुन्दर रचना और अभिव्यक्ति
  • author
    श्वेता विजय mishra
    14 एप्रिल 2021
    बेहतरीन पंक्तियां लिखी आपने बहुत
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    14 एप्रिल 2021
    बात तो सही कही आपने जब भी मै बासुंरी की धुन मोबाइल मे सुनती हूँ तो ऐसा लगता जैसे कान्हा बजा रहे है ।चित्त को चुरा लेते है ऐसा मेडीटेशन करा देते है । बहुत सुन्दर लिखा भाई जी ..।राधे राधे 🙏🙏🙏🙏
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    Sanjay Ni_ra_la
    14 एप्रिल 2021
    बहुत सुन्दर रचना और अभिव्यक्ति
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    श्वेता विजय mishra
    14 एप्रिल 2021
    बेहतरीन पंक्तियां लिखी आपने बहुत