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शांति और सौन्दर्य अपने ही अन्दर निहित

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शांति और सौन्दर्य अपने ही अन्दर निहित उनसे प्यार करो, जिन्हें लोग पतित, गर्हित और हेय समझते हैं। जिन्हें केवल निन्दा और भर्त्सना ही मिलती है। जो अपने ऊपर लदे हुए पिछड़ेपन के कारण न किसी के ...