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शाखा प्रशाखा

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पेड़ जड़ शाखा प्रशाखा में बहस छिड़ी, तना सीधा खड़ा जड़ तो जमीन में गड़ी, शाखा आसमान छूने की अरमान पाले, प्रशाखा झुमने नाचने का संकल्प धरे, जड़ शर्मीला मिट्टी से रस पान कर रहा, रस से तना मजबूत ...

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Swapankumar Mukherjee

Retired Professor. Writes poetry, blogs and translation in hindi.

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