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शैलेन्द्र कुमार के दोहे

दोहाशैलेन्द्र कुमार के दोहे
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4.2

सबके बुरा करने मैं चला,बुरा किसी-किसी  का होय सब जन मिल मुझे बहिष्कृत किया, बहुत बुरा होय।। नौकरी खोजने मैं चला,अच्छी नौकरी मिला न कोय जो स्वरोजगार किया अपना,अनेक नौकरी दे जाय।। आविष्कार लोग करता ...