शहर की शाम, रुक-रुक के चलती गाड़ियों का जाम, एक दूसरे की पीछे हाँफती, थकी सड़कें गुमसुम गुमनाम। लोगों की भीड़, कहीं चलते, कहीं रुकते, हर कदम पे लगे, मानो मंजिलों से जूझते। किसी को घर जल्दी में है ...
शहर की शाम, रुक-रुक के चलती गाड़ियों का जाम, एक दूसरे की पीछे हाँफती, थकी सड़कें गुमसुम गुमनाम। लोगों की भीड़, कहीं चलते, कहीं रुकते, हर कदम पे लगे, मानो मंजिलों से जूझते। किसी को घर जल्दी में है ...