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षड्यंत्र

3.7
1370

अजन की जंगल के हर वृक्ष से दोस्ती है , काली माटी सी काली त्वचा और श्रम से गठा हुआ शरीर , महुआ की सुगंध देह से आती है , जंगली जानवरों से जूझना वह भली-भांति जानता है ,एक क्षण में पेड़ पर चढ़ जाता है ,यूँ ही नहीं उसकी कौम आदिवासी कहलाती , आदिकाल के गुणों को सहेजा है उन्होंने स्वार्थ , माया-मोह को इस जंगली जीवन में कोई स्थान नहीं | आज तक शहर वालों को देता आया था अपनी उपज ,अपनी मेहनत ,अपनी कला ....कुछ भी तो बदले में नहीं माँगा, पर आज तो अनहोनी हो गई ....कुछ शहरी आये ,उनके हाथों में हथियार नहीं थे , थे ...

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