"एक दिन तुम शाखा नही जावोगे तो तूफान आ जायेगा क्या ?" सुमेधा ने मिहिर को खाकी नेकर पहनते हुए टोका। "लेकिन क्यों नही जाऊं मैं,अपने पारिवारिक कर्म के इत्तर कुछ भी करूं तुम्हे क्या,आखिर ऐसा क्या काम है ...
"एक दिन तुम शाखा नही जावोगे तो तूफान आ जायेगा क्या ?" सुमेधा ने मिहिर को खाकी नेकर पहनते हुए टोका। "लेकिन क्यों नही जाऊं मैं,अपने पारिवारिक कर्म के इत्तर कुछ भी करूं तुम्हे क्या,आखिर ऐसा क्या काम है ...