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सवैया छन्द : दीपावली

4.0
1590

१. खुशियाँ बिखरीं घर आँगन में सखियां सब दीपक देख रहीं । छवि देख पिया सखि दीपक में शरमाय रहीं छुप जायँ कहीं । कर पूजन दीप जला कर के अब द्वार चलीं मुसकाय रहीं । सब खेलत संग मचा हुड़दंग लगे उनको कछु लाज ...

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लेखक के बारे में

पवन प्रताप सिंह 'पवन' सौन्हर, नरवर (म.प्र.) 918819959618

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manjit Singh
    21 जून 2020
    Pavan ji aapko koti koti pranaam.brijbhasha, Avadhi va ardhamagdhi ka sumel hai kavita
  • author
    Ashok Raktale
    14 दिसम्बर 2018
    वाह ! अच्छे दुर्मिल रचे हैं आपने । किरीट सवैया पर भी अच्छी कलम चलाई है । बहुत बधाई।
  • author
    04 अप्रैल 2022
    बहुत ही शानदार रचना।
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    Manjit Singh
    21 जून 2020
    Pavan ji aapko koti koti pranaam.brijbhasha, Avadhi va ardhamagdhi ka sumel hai kavita
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    Ashok Raktale
    14 दिसम्बर 2018
    वाह ! अच्छे दुर्मिल रचे हैं आपने । किरीट सवैया पर भी अच्छी कलम चलाई है । बहुत बधाई।
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    04 अप्रैल 2022
    बहुत ही शानदार रचना।