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सत्य या मिथ्या

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सत्य या मिथ्या अनीता झील के किनारे बनी पगडंडी पर इधर से उधर टहल रही थी। उसके पांव रूकने का नाम नहीं ले रहे थे। पर आज उसके कदमों में पहले जैसा उत्साह नहीं था। झील का निर्मल जल कल-कल कर बह रहा था। ...

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Rakesh Tagala
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