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सर्वोपरि कर्म भाग्य मात्र भ्रम!

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🌺दोहे 🌺 भाग्य कर्म के अधीन है, मत देख हाथ की रेख। विफल  हुआ तो क्या हुआ, दूजा  मौका  देख ।। हार से यदि हार गया तो, जीत कभी नहीं  पायेगा। हार को हथियार  बना लें, जीत  सुनिश्चित जायेगे।। हताशा और ...

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Zindagi

मेरी.......कविताएं....✍️ सहज, निर्मल हृदय की "उत्पत्ति" शब्दों के रूप में मन - आत्मा की "अभिव्यक्ति"

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