pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

सर्दी सर्दी

65

सर्दी सर्दी तन में सिहरन रोआँ रोआँ बोलता है इस अनुभव को खड़ा हो जाता है इसके सत्कार में। दांत स्वतः संगीत देते हैं। प्रत्येक अंग प्रत्यंग नर्तन करता है चेहरे पर लालिमा आँखों में ठंडक कानों के कोरों पर ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है