एक शाम की बात हे जब मैं एक गार्डन मे बस ऐसे ही टहल रहा था अपनी धुन मे मैं अपनी ही सोच मे मस्त था सब को अपनी ही मस्ती मे मस्त देख मैं आसमान मे पंच्छियों को झुण्ड को देख रहा था जो रात होने से पहले ...
एक शाम की बात हे जब मैं एक गार्डन मे बस ऐसे ही टहल रहा था अपनी धुन मे मैं अपनी ही सोच मे मस्त था सब को अपनी ही मस्ती मे मस्त देख मैं आसमान मे पंच्छियों को झुण्ड को देख रहा था जो रात होने से पहले ...