तुम तो विनाश रचाते हाहाकार मचाते तुमने कहाँ का संयम धरा है? बस यही कि परमाणु बम का प्रयोग नहीं किया है? पर किया तो है! हिरोशिमा और नागासाकी पर लाख भूलो पर हम तो यही समझे कि संयम कहाँ, यह तो ...
हम, अपने हृदय की गूँज को कविताओं और कहानियों के रूप में यहाँ पर संकलित कर रहे हैं केवल इसलिए कि अगले जन्म में आकर पुनः पढ सकें और देख सकें कि हमारी मनोवांछना ने कौन सा आकार धारण किया है!
मैं चाहूँ, हर रूप में ढल जाऊँ
खुद को सभी के भावों में पाऊँ।
दुःख-दर्द उनके अपनाऊँ
खोजूँ नए रास्ते, दुःख मिटाऊँ।
हँसूँ-मुस्काऊँ सबके संग
सबको जीवन का वैभव दिखलाऊँ।
सारांश
हम, अपने हृदय की गूँज को कविताओं और कहानियों के रूप में यहाँ पर संकलित कर रहे हैं केवल इसलिए कि अगले जन्म में आकर पुनः पढ सकें और देख सकें कि हमारी मनोवांछना ने कौन सा आकार धारण किया है!
मैं चाहूँ, हर रूप में ढल जाऊँ
खुद को सभी के भावों में पाऊँ।
दुःख-दर्द उनके अपनाऊँ
खोजूँ नए रास्ते, दुःख मिटाऊँ।
हँसूँ-मुस्काऊँ सबके संग
सबको जीवन का वैभव दिखलाऊँ।
रिपोर्ट की समस्या
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