हर इंसान एक दूसरे से, जलता क्यों है, मुकद्दर में नही, उसके लिए रोता क्यों है। कर्म जैसा है, फल वैसा ही मिलता है, हर दरो - दिवार, सर पटकता क्यों है।। जलाया न दिया, अंधेरा भगाने के लिए, फिर ...
जी , बहुत खूबसूरत लिखा है आपने। आपने प्रत्येक बंद में एक प्रश्न रखा है पाठकों के समक्ष। यदि प्रत्येक बंद की पहली पंक्ति को समझ लिया जाए तो स्वतः ही उत्तर भी मिल जाता है।
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