हर इंसान एक दूसरे से, जलता क्यों है, मुकद्दर में नही, उसके लिए रोता क्यों है। कर्म जैसा है, फल वैसा ही मिलता है, हर दरो - दिवार, सर पटकता क्यों है।। जलाया न दिया, अंधेरा भगाने के लिए, फिर ...
हर इंसान एक दूसरे से, जलता क्यों है, मुकद्दर में नही, उसके लिए रोता क्यों है। कर्म जैसा है, फल वैसा ही मिलता है, हर दरो - दिवार, सर पटकता क्यों है।। जलाया न दिया, अंधेरा भगाने के लिए, फिर ...