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संध्या

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सूरज की वो मद्धम रोशमी जो आकाश में छुपे बादलो से निकल कर फैल रही थी,पंछियो का अपने घर को लौटना कहि धीमी धीमी आवज से ईश्वर को याद किया जाना और एक ठंडक जो दिल को सुकून दे रही थी,वो हवा,जो अपनी ठंडक ...

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लेखक के बारे में
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Pareenita Sharma

ज़िन्दगी को आसान या मुश्किल करना आपके अपने हाथ में है।

समीक्षा
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  • author
    somnath manjule "S.M."
    12 जून 2020
    wonderful 👌🏻👌🏻😊
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    somnath manjule "S.M."
    12 जून 2020
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