pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

संध्या

13
5

सूरज की वो मद्धम रोशमी जो आकाश में छुपे बादलो से निकल कर फैल रही थी,पंछियो का अपने घर को लौटना कहि धीमी धीमी आवज से ईश्वर को याद किया जाना और एक ठंडक जो दिल को सुकून दे रही थी,वो हवा,जो अपनी ठंडक ...