समुंदर की लहरों में हर कश्ती झूल रही है, मझधार में आकर के हर बार ये थम रही है, देखने को तो साहील का नजारा दूर न था मगर महोब्बत के इस खारे पानी में मेरी हस्ती डूब रही है, ...
समुंदर की लहरों में हर कश्ती झूल रही है, मझधार में आकर के हर बार ये थम रही है, देखने को तो साहील का नजारा दूर न था मगर महोब्बत के इस खारे पानी में मेरी हस्ती डूब रही है, ...