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साम्ब सदाशिव की उपासना

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मिटा कर पशुत्व अन्तःकरण का, बहा कर अहम भाव तन-मन का, पचा कर त्रि-शूल जहर संसार का,  त्याग कर मोह मद जगत का, शिवराम भाव में रमकर, जीवन मरण के चक्र से मुक्त हो जाना ही, साम्ब सदाशिव की परम उपासना ...

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लेखक के बारे में
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Purushottam Choudhury

वियोग में संयोग में भी, विरह में मिलन में भी, अश्रु ही प्रेम प्रतीक भी, अश्क ही प्रेम प्राकट्य भी!! पुरूषोत्तम चौधरी

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