एक फ़क़ीर थे। काफ़ी पहुँचे हुये थे। बहुत सरल स्वभाव था। सबके लिये ख़ुदा से यहीं माँगते थे। वो भिक्षाटन कर अपनी जीविका का निर्वाह करते थे।किसी से कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं। जो दे उसका भला और न दे ...
एक फ़क़ीर थे। काफ़ी पहुँचे हुये थे। बहुत सरल स्वभाव था। सबके लिये ख़ुदा से यहीं माँगते थे। वो भिक्षाटन कर अपनी जीविका का निर्वाह करते थे।किसी से कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं। जो दे उसका भला और न दे ...