जुदाई की ये रातें अब आदत-सी बनी हैं, "ज्योत" जलती रही फिर भी समंदर के किनारे। हर एक दर्द ने दिल को डुबोया किनारे, मैं खामोश बैठी थी फिर समंदर के किनारे। तुझे ढूंढा है मैंने आज फिर समंदर के किनारे, ...
जुदाई की ये रातें अब आदत-सी बनी हैं, "ज्योत" जलती रही फिर भी समंदर के किनारे। हर एक दर्द ने दिल को डुबोया किनारे, मैं खामोश बैठी थी फिर समंदर के किनारे। तुझे ढूंढा है मैंने आज फिर समंदर के किनारे, ...