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सकून

4.6
34

चौराहे पर भागती जिन्दगी...और... हम खोजते रहतें हैं..... सकून सकून......कितना प्यारा शब्द है न...।। लेकिन कहाँ मिल पाता ....हमें सकून न बचपन में सकून..... न युवा मे सकून.... और इस सकून के पीछे भागते ...

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लेखक के बारे में
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Sanjukta Pandey
समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sumedha Prakash
    13 अक्टूबर 2018
    bitter truth of life
  • author
    सौरभ शर्मा
    20 अगस्त 2018
    वाह...👌
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  • author
    Sumedha Prakash
    13 अक्टूबर 2018
    bitter truth of life
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    सौरभ शर्मा
    20 अगस्त 2018
    वाह...👌