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सखी तुम्हारा जाना मलय पवन का दह जाना है

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आज तरंग सर के यहाँ से अभिनव कदम ले आई और खोलते ही एक युग भहरा कर यों गिरा की यादों की बस्ती में सैलाब आ गया. मैं चीख कर मन भर रोना चाहती हूँ. मन में हाहाकार मचा है .... जयप्रकाश सर को फोन किया ..... ...