सुबह से राखी, आयुष का इंतज़ार कर रही थी.. बेचैन थी सोच रही थी कि कब आएंगे आएंगे इस बार बड़ी है उग्रता व्यग्रता से इंतजार था उसे आयुष के आने का पिछले 3 तीज का व्रत आयुष की तस्वीर रख कर या फिर ...

प्रतिलिपिसुबह से राखी, आयुष का इंतज़ार कर रही थी.. बेचैन थी सोच रही थी कि कब आएंगे आएंगे इस बार बड़ी है उग्रता व्यग्रता से इंतजार था उसे आयुष के आने का पिछले 3 तीज का व्रत आयुष की तस्वीर रख कर या फिर ...