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बलात्कार पर सहमति

4.4
14782

बलात्कार पर सहमति मत दीजिये, अपनी सोच बदलिए और बच्चो को सही- गलत का फर्क बताइये.

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लेखक के बारे में
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रुचिका मेहता

दिमाग को भरा रखने के लिए "पढ़ना" और खाली करते रहने के लिए "लिखना", जरुरी लगता है मुझे !!!

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Gautam Srivastava
    18 ಮೇ 2017
    लड़कों की तो सारी कहानी सुना दी आपने ,पर जब लड़की किसी लड़के के साथ दो चार साल लिव इन में रहने के बाद शादी के झूठे वादे करके संबंध बनाने का आरोप लगाए तो क्या वो भी इतनी ही मासूमियत है जितना आपने बखान किया शुचिता और अस्मिता के नाम पर।एकतरफा मत सोचिये।हर फायदे वाली चीज का साइड इफ़ेक्ट भी होता है ।जान बूझ कर कुएँ में कूदना मासूमियत नही कहलाती और ना ही हर पुरुष बलात्कारी होता है जैसा कि आप साबित करना चाहती हैं।
  • author
    16 ಫೆಬ್ರವರಿ 2019
    श्रमा चाहूँगा, परंतू औरतों को स्वयं को बदलना होगा, जो कुछ हमारे दकियानूसी संस्कारों के नाम पर औरतों को चुप चाप सहने के लिऐ उन्ही की बङी- बुढ़ी औरतों द्वारा बचपन से सिखाया जाता है सरासर गलत है। और जहाँ तक लङकों की बात है उन्हें बचपन से ही लङकियों की इज्जत करना सिखाना पङेगा अगर बचपन से लङकों को संस्कार दिऐ जाऐं तो समाज बदलने में ज्यादा सहयोग होगा।
  • author
    SHANTKAY PRATAP
    01 ಜೂನ್ 2018
    बलात्कार की सहमति कोई नही देता मैडम जी। और कोई परिवार अपने बच्चे कोई रेप करने का संस्कार नही देते। ये तो लोग गलत संगत और चाल चलन का नतीजा है। मैं दोनो की गलती देता हूँ। क्योंकि जब रेप होता है तो कोई ये नही कहता कि मेरी गलती है। लड़की का कहना होता है कि ``मै तो अपने रास्ते जा रही थी वही आया`` और लड़के कब अपनी गलती मानते है। मैं भी लड़का हूँ पर I respect woman. और आपलोगो की इन कहानियों को पढ़ कर और इजात करने का मन करता है।
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    Gautam Srivastava
    18 ಮೇ 2017
    लड़कों की तो सारी कहानी सुना दी आपने ,पर जब लड़की किसी लड़के के साथ दो चार साल लिव इन में रहने के बाद शादी के झूठे वादे करके संबंध बनाने का आरोप लगाए तो क्या वो भी इतनी ही मासूमियत है जितना आपने बखान किया शुचिता और अस्मिता के नाम पर।एकतरफा मत सोचिये।हर फायदे वाली चीज का साइड इफ़ेक्ट भी होता है ।जान बूझ कर कुएँ में कूदना मासूमियत नही कहलाती और ना ही हर पुरुष बलात्कारी होता है जैसा कि आप साबित करना चाहती हैं।
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    16 ಫೆಬ್ರವರಿ 2019
    श्रमा चाहूँगा, परंतू औरतों को स्वयं को बदलना होगा, जो कुछ हमारे दकियानूसी संस्कारों के नाम पर औरतों को चुप चाप सहने के लिऐ उन्ही की बङी- बुढ़ी औरतों द्वारा बचपन से सिखाया जाता है सरासर गलत है। और जहाँ तक लङकों की बात है उन्हें बचपन से ही लङकियों की इज्जत करना सिखाना पङेगा अगर बचपन से लङकों को संस्कार दिऐ जाऐं तो समाज बदलने में ज्यादा सहयोग होगा।
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    SHANTKAY PRATAP
    01 ಜೂನ್ 2018
    बलात्कार की सहमति कोई नही देता मैडम जी। और कोई परिवार अपने बच्चे कोई रेप करने का संस्कार नही देते। ये तो लोग गलत संगत और चाल चलन का नतीजा है। मैं दोनो की गलती देता हूँ। क्योंकि जब रेप होता है तो कोई ये नही कहता कि मेरी गलती है। लड़की का कहना होता है कि ``मै तो अपने रास्ते जा रही थी वही आया`` और लड़के कब अपनी गलती मानते है। मैं भी लड़का हूँ पर I respect woman. और आपलोगो की इन कहानियों को पढ़ कर और इजात करने का मन करता है।