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सहनशीलता।

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सहनशीलता धैर्य को, करती अंगीकार। बसे हृदय में शीध्रता, भटका है संसार।। लोभ मोह लालच बढ़ा, तजा हृदय ईमान। रह सकता है फिर कहाँ, कहो अत्मसम्मान? प्रश्न चिन्ह अपनत्व पर, होता नहीं विचार। मान शान सम्मान ...

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Yogendra Gupta
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