सादर प्रणाम सर । आप द्रौण बनों या परशुराम आपकी मर्जी । अगूंठा मांगो,या सिखाये को भूलने का श्राप दो आपकी मर्जी। मैं पूर्ण श्रद्धा से अपना शिष्यत्व निभाती जाऊंगी । श्वासों के अंतिम क्षणों तक नमन ...
सादर प्रणाम सर । आप द्रौण बनों या परशुराम आपकी मर्जी । अगूंठा मांगो,या सिखाये को भूलने का श्राप दो आपकी मर्जी। मैं पूर्ण श्रद्धा से अपना शिष्यत्व निभाती जाऊंगी । श्वासों के अंतिम क्षणों तक नमन ...