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"सात रूपए"

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"कितने हुए?" "एक सौ सात रूपए!" "सात रूपए नहीं है मेरे पास।" अपनी मुट्ठी में बंधा इकलौता सौ का नोट उसने उस ऑटो ड्राइवर की और बढ़ा दिया। "कोई बात नहीं मैडम! फिर कभी दे देना।" "यह झूठी उम्मीद मत ...

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Khayal-e- pushp

अच्छी कहानी और अच्छे लोग देर से समझ में आते हैं! लेकिन पूरी तरह समझ में आते हैं...💕

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