है कठिन आज जो छाया घनीभूत विस्तृत अंधेरा हार तू मत, रख हिम्मत होगा एक नया सवेरा ऋतु चक्र का नियम है हर रात के बाद सवेरा है है दुख के अधियारी बादल सुख के सुनहरा उकेरा है ...
ना कवि, ना लेखक, ना ही इतिहासकार हूँ…
जीवन है अबूझ पहेली, उसके कुछ पल लिखता हूँ..
मैं शब्द नही,अहसास लिखता हूं
समझना थोड़ा मुश्किल है साहब
लोग अल्फाज़ पढ़ते हैं।
सारांश
ना कवि, ना लेखक, ना ही इतिहासकार हूँ…
जीवन है अबूझ पहेली, उसके कुछ पल लिखता हूँ..
मैं शब्द नही,अहसास लिखता हूं
समझना थोड़ा मुश्किल है साहब
लोग अल्फाज़ पढ़ते हैं।
रिपोर्ट की समस्या
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