देव अपनी मां का लाडला बेटा था।चार बहनों में इकलौता था।सब देव का बहुत ख्याल रखते थे।बहनें बड़ी थी सबकी शादी हो गयी थी।लेकिन देव को अकेले अपनी ससुराल तक नही आने देती थी।कहीं रास्ते मे मेरे भाई को ...
ऐ जिंदगी तुझे पाने की कोई राह नही,तू उसे ही मिलेगी जिसे तेरी परवाह नही ।लिखने पढ़ने का बचपन से शौक़ था ।आप सभी के सानिध्य में मैं भी कुछ अपने शब्दों को व्यक्त करना चाहती हूं।
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सारांश
ऐ जिंदगी तुझे पाने की कोई राह नही,तू उसे ही मिलेगी जिसे तेरी परवाह नही ।लिखने पढ़ने का बचपन से शौक़ था ।आप सभी के सानिध्य में मैं भी कुछ अपने शब्दों को व्यक्त करना चाहती हूं।
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बधाई हो! रिश्ते तो बहुत हैं लेकिन बदनाम ?
सास-बहू, ननद-भाभी ही क्यों!! प्रकाशित हो चुकी है।. अपने दोस्तों को इस खुशी में शामिल करे और उनकी राय जाने।