pratilipi-logo प्रतिलिपि
हिन्दी

रिंकी की ज़िद

2

आज रिंकी अपने मां और पापा के साथ बाजार गई थीजब वो लोग वापस आरे तब रिंकी को गुब्बारे बेचने वाले अंकल देखें उनके पास इतने सारे गुब्बारे थी कि क्या बताएं हरे नीले लाल पीले गुलाबी बगल में नारंगी काले ...

अभी पढ़ें
लेखक के बारे में
author
Prashasvi Singh

बाच्चों की कहानियां

समीक्षा
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है
  • author
    आपकी रेटिंग

  • रचना पर कोई टिप्पणी नहीं है