<p><span style="color:#000000"><strong>मूल नाम</strong> : अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना</span></p>
<p><span style="color:#000000"><strong>उपनाम :</strong> रहीम</span></p>
<p><span style="color:#000000"><strong>जन्म</strong> : 1556, लाहौर</span></p>
<p><span style="color:#000000"><strong>देहावसान:</strong> 1627, आगरा</span></p>
<p><span style="color:#000000"><strong>भाषा</strong> : ब्रजभाषा, अवधी, संस्कृत</span></p>
<p><span style="color:#000000"><strong>विधाएँ</strong> : दोहा, सोरठा, बरवै, सवैया</span></p>
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<p><span style="color:#000000">अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ाना जो </span>कि<span style="color:#000000"> अपने उपनाम रहीम के नाम से विख्यात रहे हैं, मुगल सम्राट अकबर के नवरत्नों में से एक हैं, ये भारत की गंगा-जमुनी तहजीब के सर्वर्श्रेठ उदाहरणों में से एक हैं. रहीम ने ब्रजभाषा, पूर्वी अवधी, संस्कृत और खड़ी बोली में अनेक दोहों, सोरठों, सवैयों वगैरा की रचना की है. रहीम एक साहित्यकार होने के साथ साथ ज्योतिष, दानवीर, बहुभाषाविद्, एवम प्रशासक भी थे|</span></p>