क्या सोचे तू तू है हलवा बाकी के गू किस दुनिया में रहता है देखे आसमान में नीचे देख, पैर तो जमीन पर ही रहता है तेरा तो तुझसे ही झगड़ा है मैं क्यों घसीटूं तुझे तू तो खुद ही खाता रगड़ा है। ...
क्यों खुद से दूर हो कर खुद को ही सज़ा दूँ,
दुनिया को बहुत जान लिया अब खुद को जान लूँ,
सारा वक्त मेरा अब मेरे लिए ही है,
अपनी ही खोज में लगा हूँ।
Whatsapp me on: 8894000856
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सारांश
क्यों खुद से दूर हो कर खुद को ही सज़ा दूँ,
दुनिया को बहुत जान लिया अब खुद को जान लूँ,
सारा वक्त मेरा अब मेरे लिए ही है,
अपनी ही खोज में लगा हूँ।
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