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रात सुहाग होगी आधी रात इत -उत छोटी सी डिबिया खुलेगी सहचरी स्वीकार्यता में – सिंदूर की चुटकी  उठेगी, मंडप में बैठी  अपर संग उस समर्पित माँग पथ में बिछते ही सिंदूर लाली – प्रिया प्रिय की हो ...