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प्यार की उड़ान

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4.3

" तुम्हारा अपने रहने खाने का ठिकाना नही , भला मैं अपनी फूल सी बच्ची तुम्हे कैसे सौंप दूं | तुम जैसों को अच्छे से जानता हूं मै | बात को बिना खिंचे बता दो कितने रूपए चाहिए मेरी बच्ची की ज़िंदगी से ...