" तुम्हारा अपने रहने खाने का ठिकाना नही , भला मैं अपनी फूल सी बच्ची तुम्हे कैसे सौंप दूं | तुम जैसों को अच्छे से जानता हूं मै | बात को बिना खिंचे बता दो कितने रूपए चाहिए मेरी बच्ची की ज़िंदगी से ...
" तुम्हारा अपने रहने खाने का ठिकाना नही , भला मैं अपनी फूल सी बच्ची तुम्हे कैसे सौंप दूं | तुम जैसों को अच्छे से जानता हूं मै | बात को बिना खिंचे बता दो कितने रूपए चाहिए मेरी बच्ची की ज़िंदगी से ...