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"प्यार का जाल"

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शुरू शुरू इश्क़ तुम्हारा गहरा था, मेहंदी के रंगों सा सुनहरा था। मुझसे प्यार करना मुझको पाना, महज तुम्हारा यह एक जाल था। मुझको मेरे हालातों पर छोड़ कर यूं मुझसे दूर जाना यही तुम्हारा चाल था। ...

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लेखक के बारे में
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AMRITA RAJ

साहित्य, कला प्रेमी। छात्रा स्नातक (तृतीय वर्ष)( हिंदी प्रतिष्ठा) मंत्रिमंडल राजभाषा विभाग (बिहार सरकार) द्वारा वक्ता के रूप में सम्मानित। कविता, श्यारी आदि लेखन प्रिय है।

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