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पुनर्मिलन

4.2
3441

बुढ़ापे में अकेलेपन से बड़ी कोई त्रासदी नहीं। ऐसे समय मन यादों की गलियों में टहलने को मचल उठता है और किसी मोड़ पर ठिठका खड़ा सच जब अचानक सामने आ जाये तो क्या होता है?

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लेखक के बारे में
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कविता वर्मा

मैं इंदौर से कविता वर्मा कहानियाँ कविताएँ उपन्यास लेख लिखती हूँ। मुझे लघुकथा बाल साहित्य और कहानी संग्रह के लिए अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं और अभी मध्यप्रदेश का प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान वागीश्वरी पुरस्कार मेरे कहानी संग्रह कछु अकथ कहानी को मिला है।

समीक्षा
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  • कुल टिप्पणी
  • author
    Sandhya Bhagat
    21 September 2021
    wah...bohot badhiya...ek achha lekhak samaj me badlav lane me saksham hota h
  • author
    Rekha Gahla
    19 August 2018
    इंतजार ।। बहुत ही उम्दा कहानी। अंत तक बांधे रखा। इसी तरह लिखती रहें आप।
  • author
    कोमल राजपूत
    15 February 2019
    बहुत खूब काश हर बेटे को अपने पिता की यूही चिंता होती।।
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    Sandhya Bhagat
    21 September 2021
    wah...bohot badhiya...ek achha lekhak samaj me badlav lane me saksham hota h
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    Rekha Gahla
    19 August 2018
    इंतजार ।। बहुत ही उम्दा कहानी। अंत तक बांधे रखा। इसी तरह लिखती रहें आप।
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    कोमल राजपूत
    15 February 2019
    बहुत खूब काश हर बेटे को अपने पिता की यूही चिंता होती।।