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पुनर्मिलन

4.2
3276

बुढ़ापे में अकेलेपन से बड़ी कोई त्रासदी नहीं। ऐसे समय मन यादों की गलियों में टहलने को मचल उठता है और किसी मोड़ पर ठिठका खड़ा सच जब अचानक सामने आ जाये तो क्या होता है?

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लेखक के बारे में
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कविता वर्मा

मैं इंदौर से कविता वर्मा कहानियाँ कविताएँ उपन्यास लेख लिखती हूँ। मुझे लघुकथा बाल साहित्य और कहानी संग्रह के लिए अखिल भारतीय स्तर पर पुरस्कार मिल चुके हैं और अभी मध्यप्रदेश का प्रतिष्ठित साहित्यिक सम्मान वागीश्वरी पुरस्कार मेरे कहानी संग्रह कछु अकथ कहानी को मिला है।

समीक्षा
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    आपकी रेटिंग

  • कुल टिप्पणी
  • author
    Manisha Jain
    26 अगस्त 2021
    लेकिन वास्तविकता में ऐसा कहां होता है अगर माता-पिता में से कोई एक ना रहे और जो साथ में रहता है वह किसी दूसरे को पसंद करने लगे तो कभी भी उस व्यक्ति को किया महिला को बच्चे माता पिता का स्थान नहीं दे पाते हैं यह सब बातें कहानी नहीं अच्छी लगती हैं लेकिन आपने लिखा बहुत सुंदर है इसमें कोई दो राय नहीं है
  • author
    Sandhya Bhagat
    21 सितम्बर 2021
    wah...bohot badhiya...ek achha lekhak samaj me badlav lane me saksham hota h
  • author
    Rekha Gahla
    19 अगस्त 2018
    इंतजार ।। बहुत ही उम्दा कहानी। अंत तक बांधे रखा। इसी तरह लिखती रहें आप।
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    Manisha Jain
    26 अगस्त 2021
    लेकिन वास्तविकता में ऐसा कहां होता है अगर माता-पिता में से कोई एक ना रहे और जो साथ में रहता है वह किसी दूसरे को पसंद करने लगे तो कभी भी उस व्यक्ति को किया महिला को बच्चे माता पिता का स्थान नहीं दे पाते हैं यह सब बातें कहानी नहीं अच्छी लगती हैं लेकिन आपने लिखा बहुत सुंदर है इसमें कोई दो राय नहीं है
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    Sandhya Bhagat
    21 सितम्बर 2021
    wah...bohot badhiya...ek achha lekhak samaj me badlav lane me saksham hota h
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    Rekha Gahla
    19 अगस्त 2018
    इंतजार ।। बहुत ही उम्दा कहानी। अंत तक बांधे रखा। इसी तरह लिखती रहें आप।