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प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है

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" प्रेम विस्तार है , स्वार्थ संकुचन है "          -   स्वामी विवेकानंद प्रेम छोटा सा शब्द है परंतु खुद में समाहित किये हुए है अनंत भावनाये और उनका विकास । विकास शब्द का इस्तेमाल करना यहाँ और ...