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हिन्दी

प्रेम का उदय

4.6
38020

भोंदू पसीने में तर, लकड़ी का एक गट्ठा सिर पर लिए आया और उसे जमीन पर पटककर बंटी के सामने खड़ा हो गया, मानो पूछ रहा हो 'क्या अभी तेरा मिजाज ठीक नहीं हुआ ? ' संध्या हो गयी थी, फिर भी लू चलती थी और आकाश ...

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लेखक के बारे में

मूल नाम : धनपत राय श्रीवास्तव उपनाम : मुंशी प्रेमचंद, नवाब राय, उपन्यास सम्राट जन्म : 31 जुलाई 1880, लमही, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) देहावसान : 8 अक्टूबर 1936 भाषा : हिंदी, उर्दू विधाएँ : कहानी, उपन्यास, नाटक, वैचारिक लेख, बाल साहित्य   मुंशी प्रेमचंद हिन्दी के महानतम साहित्यकारों में से एक हैं, आधुनिक हिन्दी कहानी के पितामह माने जाने वाले प्रेमचंद ने स्वयं तो अनेकानेक कालजयी कहानियों एवं उपन्यासों की रचना की ही, साथ ही उन्होने हिन्दी साहित्यकारों की एक पूरी पीढ़ी को भी प्रभावित किया और आदर्शोन्मुख यथार्थवादी कहानियों की परंपरा कायम की|  अपने जीवनकाल में प्रेमचंद ने 250 से अधिक कहानियों, 15 से अधिक उपन्यासों एवं अनेक लेख, नाटक एवं अनुवादों की रचना की, उनकी अनेक रचनाओं का भारत की एवं अन्य राष्ट्रों की विभिन्न भाषाओं में अन्यवाद भी हुआ है। इनकी रचनाओं को आधार में रखते हुए अनेक फिल्मों धारावाहिकों को निर्माण भी हो चुका है।

समीक्षा
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  • author
    अमित शर्मा
    08 जुलाई 2017
    इनकी कहानी पर टिप्पणी करने की औकात नहीं हमारी।
  • author
    DHARMENDRA SINGH
    12 जून 2020
    नारी का हट और नारी के सामने पुरुष की विवशता का बड़ी ही मार्मिकता से विवेचना की गई है, और नारी को सही पथ पर लाने की जो कल्पना लेखक द्वारा की गई वो भी उत्तम थी। उपन्यास सम्राट द्वारा छोटी लेकिन उच्च स्तरीय रचना।
  • author
    08 अगस्त 2018
    उम्दा"#👍
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    अमित शर्मा
    08 जुलाई 2017
    इनकी कहानी पर टिप्पणी करने की औकात नहीं हमारी।
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    DHARMENDRA SINGH
    12 जून 2020
    नारी का हट और नारी के सामने पुरुष की विवशता का बड़ी ही मार्मिकता से विवेचना की गई है, और नारी को सही पथ पर लाने की जो कल्पना लेखक द्वारा की गई वो भी उत्तम थी। उपन्यास सम्राट द्वारा छोटी लेकिन उच्च स्तरीय रचना।
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    08 अगस्त 2018
    उम्दा"#👍